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बुधवार, 31 अगस्त 2011

समं दर का सूरज

अमृता के जन्म दिन पर अमृता के लिए 


समं दर का सूरज 


तीन बार 
किनारों ने 
सिर उठाया 
तीनों बार 
उनके वजूद को 
चूर होते पाया ...
इसलिए 
छोड़ 
किनारों को पीछे 
नदी के बहाव को 
लगाया गले ....
पर 
जानती हो ...
किनारे 
छूटते कहाँ है..!
चलते हैं वो तो 
साथ ही 
या 
घुल जाते है 
लहरों के आवेग से .....
आज 'तुम' 
समंदर हो 
और तुम्हारे 
माथे पर 
चमकता सूरज 
कोई और नहीं 
तुम्हारे 
घुले हुए किनारे है........ 

शनिवार, 27 अगस्त 2011

एहसास




हर बात से डर लगता है 
हर बात पे सहम जाते है 

जब झूठ के मेले में, एहसास 
बच्चे से कहीं खो जाते हैं .......

गुरुवार, 18 अगस्त 2011

रिश्ते

रिश्ते 

नहीं होते

 मोहताज़ 

वक्त के... 

जो होते है 

वो रिश्ते नहीं

होते हैं

 महज़

टाइम पास.....

इश्क ...



उसने कहा ,

"मुझे मोहब्बत है "

मैंने पूछा

' इश्क '

क्यूँ नहीं ..???

उसने कहा   

मोहब्बत

' हवा ' है

और 

इश्क

' बरसात '



रविवार, 7 अगस्त 2011

दोस्त

दोस्त 
दो सत 
जैसे सूरज 
जैसे सागर 
तभी तो 

होता है विरक्त ...
रज से 
तम से 
बंधता है सम 
सिर्फ 
सत से ......