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मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

जिंदगी......(2)



 उसने पूछा
 जिंदगी क्या है.....?
 मैंने कहा, 
 पागल हो क्या...!
 ये सवाल
वो भी औरत से !!
क्या तुमने , कभी
किसी औरत को
जीते हुए देखा है ........!!
(अंजू अनन्या )

( "काव्यांजलि " में प्रकाशित )


13 टिप्‍पणियां:

  1. औरत ही माँ है
    औरत ही बेहेन है
    औरत नहीं तो श्रृष्टि नहीं है ..

    भगवान् का दूसरा रूप है औरत ..

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  2. use yash aur samman to nahee miltaa
    par har zindgee uskee karzdar rahtee hai

    जवाब देंहटाएं
  3. ओह, इतनी गंभीर कविता, पढ़कर मौन हो गया, सच मे सच!
    इसी तरह बोलती कविता ही सार्थक ब्लॉगिंग है।
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. ओह, इतनी गंभीर कविता, पढ़कर मौन हो गया, सच मे सच!
    इसी तरह बोलती कविता ही सार्थक ब्लॉगिंग है।
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. मर्म को छूता हुआ सच अंजू जी ...बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  6. आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया .....

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  7. चंद पंक्तियों में स्त्री के जीवन का निचोड़ ॥ गहन अभिव्यक्ति

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  8. बहुत सुन्दर पोस्ट।

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  9. कुछ ही शब्दों में गहरी बात कह दी है आपने ... मार्मिक भाव ...

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  10. मेरी टिप्पणी कहाँ गयी ? स्पैम में देखिएगा ...

    सटीक लिखा है

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