पर ज़िन्दगी औरत ही देती है ...
बहुत ही मार्मिक। सादर
औरत ही माँ है औरत ही बेहेन है औरत नहीं तो श्रृष्टि नहीं है ..भगवान् का दूसरा रूप है औरत ..
use yash aur samman to nahee miltaapar har zindgee uskee karzdar rahtee hai
ओह, इतनी गंभीर कविता, पढ़कर मौन हो गया, सच मे सच!इसी तरह बोलती कविता ही सार्थक ब्लॉगिंग है।आभार
मर्म को छूता हुआ सच अंजू जी ...बहुत सुन्दर !
आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया .....
चंद पंक्तियों में स्त्री के जीवन का निचोड़ ॥ गहन अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर पोस्ट।
बेहतरीन भाव ।
कुछ ही शब्दों में गहरी बात कह दी है आपने ... मार्मिक भाव ...
मेरी टिप्पणी कहाँ गयी ? स्पैम में देखिएगा ... सटीक लिखा है
पर ज़िन्दगी औरत ही देती है ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक।
जवाब देंहटाएंसादर
औरत ही माँ है
जवाब देंहटाएंऔरत ही बेहेन है
औरत नहीं तो श्रृष्टि नहीं है ..
भगवान् का दूसरा रूप है औरत ..
use yash aur samman to nahee miltaa
जवाब देंहटाएंpar har zindgee uskee karzdar rahtee hai
ओह, इतनी गंभीर कविता, पढ़कर मौन हो गया, सच मे सच!
जवाब देंहटाएंइसी तरह बोलती कविता ही सार्थक ब्लॉगिंग है।
आभार
ओह, इतनी गंभीर कविता, पढ़कर मौन हो गया, सच मे सच!
जवाब देंहटाएंइसी तरह बोलती कविता ही सार्थक ब्लॉगिंग है।
आभार
मर्म को छूता हुआ सच अंजू जी ...बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंआप सभी का तहे दिल से शुक्रिया .....
जवाब देंहटाएंचंद पंक्तियों में स्त्री के जीवन का निचोड़ ॥ गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव ।
जवाब देंहटाएंकुछ ही शब्दों में गहरी बात कह दी है आपने ... मार्मिक भाव ...
जवाब देंहटाएंमेरी टिप्पणी कहाँ गयी ? स्पैम में देखिएगा ...
जवाब देंहटाएंसटीक लिखा है