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सोमवार, 26 अगस्त 2013

मैं लिखती कहाँ हूँ .........

मैं ..लिखती
 कहाँ हूं ...?

जब भी चाहा 
कुछ लिखना
कहाँ , लिख पाई 

लिखा जाता है 
जो भी ..
होता है 
उसकी रजा से ..

वो बोलता 
मैं सुनती हूँ 
और 
कलम 
खुद ब खुद 
बिखर जाती है 
खाली पन्नों पर ....

यूँ मिट जाता है 
फासला 
कलम -कागज 
मेरे -उसके 
बीच का .....
(" काव्य-लहरी " में प्रकाशित )


नही पुकारना ......



आधी रात ..कोई तारा टूटा
नही देखा ...नामुराद जो ठहरा ........

कोई उठा किसी नाम के साथ
अंधी आँखें ..खंगालने लगी अंधेरा ......

"कितनी भी याद आये नही पुकारना "
.....लबों पर चिपका कर चला गया कोई

रिमझिम रिमझिम तेज बौछारें
भेदती जैसे रात कि नीरवता ...

रोता रहा आसमान ..लिए पलकों पे हिचकियाँ
चाँद नदारद था ......................

बारिशों से उसे कब लगाव होता है
रहता है चांदनी में साथ

{...................}

शनिवार, 17 अगस्त 2013

एहसास ................

उनींदी आँखों में 

सुरमई लकीर सा 

बहकता ख्वाब ......


सर्र.र्र.. सी सरसरी 

मरीचिका सी आस  

नम झोंके का

पुरनम बहाव  .......


स्निग्ध एहसास  

महका  उज्जास ......


जी लिया ...यूँ 

हथेली से , 

हथेली का विश्वास  .........!



शनिवार, 10 अगस्त 2013

{..अपनी अपनी जगह ....}



तपते लोहे पर 

चोट करने को कह 


टूट गया लोहा ..!


कुछ चिनगारिया भभकी 

लोहार ने आँखें बचा ली 


लोहा देख रहा था 

टुकड़ा टुकड़ा वजूद ...


खुश थे 

अपनी अपनी जगह 


एक 
दो आँखों की चमक से 


दूसरा 

कुछ आकृतियों के 

साकार हो जाने पर ..!!


{...अन्या ....}

गुरुवार, 1 अगस्त 2013

ख्वाब.............................



ज़ज्बात मूक 

और शब्द ...

शब्द दफन हुए 

हलक में ......


बहुत रोका 

पर 

जुगनू से ख्वाब 

आखिर 

ढुलक गए 

पलक से ..............! ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...!!! 

{- अन्या - }