तपते लोहे पर
चोट करने को कह
टूट गया लोहा ..!
कुछ चिनगारिया भभकी
लोहार ने आँखें बचा ली
लोहा देख रहा था
टुकड़ा टुकड़ा वजूद ...
खुश थे
अपनी अपनी जगह
एक
दो आँखों की चमक से
दूसरा
कुछ आकृतियों के
साकार हो जाने पर ..!!
{...अन्या ....}
bakai....aakar isi tarah leta hoga jiwan....abhaar
जवाब देंहटाएंअपनी अपनी जगह... अपनी अपनी ख़ुशी!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
behtreen....
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया |
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया |
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