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शनिवार, 10 अगस्त 2013

{..अपनी अपनी जगह ....}



तपते लोहे पर 

चोट करने को कह 


टूट गया लोहा ..!


कुछ चिनगारिया भभकी 

लोहार ने आँखें बचा ली 


लोहा देख रहा था 

टुकड़ा टुकड़ा वजूद ...


खुश थे 

अपनी अपनी जगह 


एक 
दो आँखों की चमक से 


दूसरा 

कुछ आकृतियों के 

साकार हो जाने पर ..!!


{...अन्या ....}

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