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सोमवार, 12 सितंबर 2011

चिंता ....?????

दीवार में 
उग आये 
पेड़ का 
विरोध ....? ? 
चिन्ता 
पेड़ के पनपने 
और 
जगह के अभाव की नहीं 
फैली जड़ों से 
खुद की 
दीवारों के 
ढह जाने की थी ...
(" काव्य-लहरी " में प्रकाशित )

9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह शानदार बिम्बों का इस्तेमाल किया है .............खूबसूरत पोस्ट|

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  2. सार्थक चिंतन ... ऐसे ही न जाने कितने पेड़ उग आते हैं मन में और न जाने क्या क्या ढह जाता है ..

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  3. गहन चिन्तनयुक्त सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति...

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  4. आपके आने का शुक्रिया ,संवेदना यूँ ही बनी रहे बस यही चाहती हूँ.....शरद जी .

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  5. धन्यवाद रश्मि जी ,आपकी गहनता ही आपको गहराई का एहसास करवाती है,आप की रचनायें भी इसी से ओत प्रोत है ....मनन किये बिना नहीं पढ़ती,इस लिए धीरे धीरे पढूंगी .आपका ब्लॉग 'मेरी भावनाएं ' बहुत प्रभावी है ..

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  6. संगीता जी आप का तहे दिल से शुक्रिया ,ब्लॉग पर आने और प्रतिक्रिया के लिए .....रचनाओं को आत्मीयता प्रदान करने के लिए आभार ...जब आप नहीं आती तो कुछ कमी का एहसास होता है , स्नेहाशीष बनाये रखियेगा ...

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  7. शुक्रिया इमरान जी,पोस्ट की पसंदीदगी के लिए ....

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