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बुधवार, 31 अगस्त 2011

समं दर का सूरज

अमृता के जन्म दिन पर अमृता के लिए 


समं दर का सूरज 


तीन बार 
किनारों ने 
सिर उठाया 
तीनों बार 
उनके वजूद को 
चूर होते पाया ...
इसलिए 
छोड़ 
किनारों को पीछे 
नदी के बहाव को 
लगाया गले ....
पर 
जानती हो ...
किनारे 
छूटते कहाँ है..!
चलते हैं वो तो 
साथ ही 
या 
घुल जाते है 
लहरों के आवेग से .....
आज 'तुम' 
समंदर हो 
और तुम्हारे 
माथे पर 
चमकता सूरज 
कोई और नहीं 
तुम्हारे 
घुले हुए किनारे है........ 

10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
    विलक्षण अभिव्यक्ति.

    और तुम्हारे
    माथे पर
    चमकता सूरज
    कोई और नहीं
    तुम्हारे
    घुले हुए किनारे हैं.......

    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

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  2. बहुत सुन्दर ... अमृता अमृता ही हैं ... समंदर से भी ज्यादा गहरी ..

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  3. प्रभावी प्रस्तुति .......
    आपको ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार ,राकेश कुमार जी,संगीता जी वर्षा जी,और रश्मि जी...बिलकुल सही कहा संगीता जी समंदर से भी गहरी ......वही जानेगा जो उतरेगा समंदर में ......धन्यवाद

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  5. अमृता जी के जन्मदिन पर शानदार तोहफा है ये

    जवाब देंहटाएं
  6. Belated Happy Birthday Amrita ji
    बहुत ही सुन्दर पढ़ कर अच्छा लगा......
    गणेश चतुर्थी की आपको हार्दिक शुभकामनायें
    आप भी आये यहाँ कभी कभी
    MITRA-MADHUR
    MADHUR VAANI
    BINDAAS_BAATEN

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  7. आपको हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आज हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
    आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
    MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
    BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये

    जवाब देंहटाएं
  8. मेरे ब्लॉग पर आईयेगा अंजू जी,
    आपका हार्दिक स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं