गहन विचार ... सुंदर
‘प्यार’एक शब्दजिसके अर्थ को ‘कुछ’स्वतंत्र हाथों नेइतना उपर उछालाकि,लटक गया हैधरती और आकाश के बीच,त्रिशंकु की तरह,बहुत सुन्दर भाव.... :)ये रचना १७ फरवरी को नई-पुरानी हलचल पर प्रस्तुत की जारही है.... :)
बेहद गहन अभिव्यक्ति।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति|
कल 17/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
प्यार को प्यार से परे कर दिया
बहुत ही अच्छे से परिभाषित किया है आपने!
छोटी सी किन्तु विस्तृत व्याख्या प्रेम की।बेहतरीन रचना....नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
पूर्ण रचना.
सही कहा..आकाश-कुसुम सा..
क्या बात कही आपने...बहुत सुन्दर..जैसे अमृता जी ने कहा..आकाश कुसुम..शुभकामनाएँ..
bahut hi achchi baat kahi aapne......
गहन विचार ... सुंदर
जवाब देंहटाएं‘प्यार’एक शब्द
जवाब देंहटाएंजिसके अर्थ को ‘कुछ’
स्वतंत्र हाथों ने
इतना उपर उछाला
कि,लटक गया है
धरती और आकाश
के बीच,त्रिशंकु की तरह,
बहुत सुन्दर भाव.... :)
ये रचना १७ फरवरी को नई-पुरानी हलचल पर प्रस्तुत की जारही है.... :)
बेहद गहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंकल 17/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
प्यार को प्यार से परे कर दिया
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे से परिभाषित किया है आपने!
जवाब देंहटाएंछोटी सी किन्तु विस्तृत व्याख्या प्रेम की।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना....
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
पूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंसही कहा..आकाश-कुसुम सा..
जवाब देंहटाएंक्या बात कही आपने...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
जैसे अमृता जी ने कहा..आकाश कुसुम..
शुभकामनाएँ..
bahut hi achchi baat kahi aapne......
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