नही पुकारना ......
आधी रात ..कोई तारा टूटा
नही देखा ...नामुराद जो ठहरा ........
कोई उठा किसी नाम के साथ
अंधी आँखें ..खंगालने लगी अंधेरा ......
"कितनी भी याद आये नही पुकारना "
.....लबों पर चिपका कर चला गया कोई
रिमझिम रिमझिम तेज बौछारें
भेदती जैसे रात कि नीरवता ...
रोता रहा आसमान ..लिए पलकों पे हिचकियाँ
चाँद नदारद था ......................
बारिशों से उसे कब लगाव होता है
रहता है चांदनी में साथ
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