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सोमवार, 28 मार्च 2011

वो जब .........

वो जब पास नहीं होता बहुत ही पास होता है
जुदाई का ये रंग बहुत ही खास होता है ...

न बंदिश न रवायतें ,न शिकवा-शिकायतें
रूह-ऐ-पाकीज़गीका खूबसूरत अहसास होता है ...

पलकों के आसमान पर चमकते है सितारे ,
लरज़ते होठों पर भीगता इक मलाल होता है...

रगों में घुलता है कोई रंग खुशबू बनकर ,
ख़ामोशियों का न फिर कोई सवाल होता है ...

रविवार, 6 मार्च 2011

दहलीज़


उसके
घर तक पहुँचना
बहुत
आसान है
पर..
इतना भी नहीं
क्यूंकि ,
उसके
घर के बाहर
कोई
दहलीज़ ही नहीं ..!!!

शनिवार, 5 मार्च 2011

अमृता



नदी बन कर
बहती रही~~~~~~
अपने ही किनारों
को लिया खोर
इस बहाव में..........और
बन गई
अथाह समन्दर-
जहॉ, ना किनारे हैं
ना नदी,
है तो
बस विस्तृत
फैला अस्तित्व..
गहराई में जिसकी
छिपे हैं खज़ाने
तुम्हारे अनमोल
अस्तित्व के...