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मंगलवार, 24 जनवरी 2012

फर्क............

तुम 
देवता हो ....
और ,मैं 
इंसान .....

बस , 
यही एक 
फर्क है ...

जो करता है 
जुदा ...

मुझे ,तुमसे 
और 
तुम्हें 
तुमसे .....!!!

शनिवार, 21 जनवरी 2012

लहर~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~



लहर लहर की बात है ..

लहर लहर का शोर ....

लहर लहर ही जानती ,

ले जायगी किस और ......!

~~~~~~~--~~~~~~~~

लहर लहर में सागर है 

लहर लहर में छोर ...

डूबेंगे या उबरेंगे पार ...

जाने मन की हिलोर ......!!!!!!

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

अन्तर..............

अन्तर है......
मंदिर के पत्थर


और
रास्ते के पत्थर में
 इतना ही .....

एक पे विश्वास
किया तुमनेऔर
दूसरे ने


तुम पर .........

( "काव्य-चेतना "में प्रकाशित )

शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

सुर और ताल .......


वेद
बन गए वाद.....
शास्त्र
बन गए शस्त्र...
और ‘गीता’ 
रह गई , 
बन कर गीत....





कौन हैं ‘जो
सुर पहचाने
कौन है 'जो'
ताल मिलाए
बैठे हैं , सब के सब
जाल बिछाए..........!!!!!



(....'काव्यांजलि' से ....)
 (काव्य संग्रह...चंडीगढ़ साहित्य अकादेमी) 


रविवार, 8 जनवरी 2012

कोहरे की परत छाई है .........................!



धुआं धुआं बिखरी तन्हाई है ..
तुम कहते हो कोहरे की परत छाई है ...

आंच बाकी है अभी जख्मों में 
अलाव में, किसलिए आग जलाई है .....

जलाने चले हो मिटटी का एक दिया 
हाथ में किसलिए पूरी दियासलाई है .......