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शुक्रवार, 3 जून 2011

औरत

रचना से 
रचित का 
  सफ़र 
तय करती है 
बड़ी ही 
तन्मयता से ,
प्रेम से ,
समर्पण से ....
पर ,मंजिल 
नहीं आती 
कभी हाथ ,
आती है 
तो 
छूट जाती है 
सफ़र की 
दीवानगी में .....! 

27 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत गहन बात ,,रचना से रचित तक का सफर .. एक नारी के हृदय को पूर्ण रूप से चित्रित कर दिया ..

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  2. वर्ड वैरिफिकेशन हटाने का शुक्रिया

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  3. डा. संगीता स्वरुप जी ,ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत ,
    शुक्रिया बहुमूल्य विचारों ,रचनाओं की पसंदीदगी के लिए ..
    ब्लॉग की सेट्टिंग को दुरुस्त करने के लिए कहा ही नहीं अपितु रास्ता भी बताया ,आत्मीय लगा .....

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  4. अंजू जी ,
    मैं डा० नहीं हूँ :):) अनजाने में ही सही नाम के आगे डा० लिखा पढ़ना अच्छा लगा :):)


    चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 07- 06 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच

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  5. मंजिल नहीं आती हाथ , आती है तो छूट जाई है ..
    सफ़र की दीवानगी ऐसी भी होती है ...
    बहुत बढ़िया !

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  6. सफ़र ही ज़्यादा महत्वपूर्ण है ... मंज़िल मिल जाने पर सब कुछ रुक जाता है ...

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  7. सफ़र की दीवानगी ........यही तो है जिंदगी का जुनून

    .................गहन भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति

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  8. गहन भावों की प्रभावशाली अभिव्यक्ति...वाह...

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  9. गहन चिंतन से परिपूर्ण सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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  10. बहुत सुन्दर कविता...अच्छा लगा यहाँ आकर ..बधाई
    ___________________

    'पाखी की दुनिया ' में आपका स्वागत है !!

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  11. संगीता जी , आभार रचना को पसंद करने एवम चर्चा मंच में शामिल करने के लिए

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  12. वाणी जी,रश्मि जी,उदयवीर सिंह जी और उडन तश्तरी स्वागत है आप सबका "अनन्या" ब्लॉग पर,गहनता तक पहुंचना,रचना को सार्थक कर गया..धन्यवाद

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  13. सफ़र ही ज़्यादा महत्वपूर्ण है ... मंज़िल मिल जाने पर सब कुछ रुक जाता है
    बिलकुल ठीक कहा आपने ..शुक्रिया .दिगम्बर नासवा जी

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  14. सफ़र ही ज़्यादा महत्वपूर्ण है ... मंज़िल मिल जाने पर सब कुछ रुक जाता है
    बिलकुल ठीक कहा आपने दिगम्बर नासवा जी

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  15. रंजना जी, सुरेन्द्र सिंह जी,विवेक जी ,भावो की अभिव्यक्ति के प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद

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  16. शुक्रिया कैलाश जी ब्लॉग पर आकर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए .गहरे समंदर में ही खज़ाने छिपे रहते है,बस पहुँच की बात है.आप वहां तक गए,रचना सफल हुई....आभार...

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  17. पाखी जी,आपको अच्छा लगा यहाँ आकर .....हमें भी अच्छा लगा,आते रहिएगा...और भी अच्छा लगेगा ...शुक्रिया

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  18. आज 14/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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