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मंगलवार, 31 मई 2011

आधार

प्रेम से


देखा


तो हो गया


निर्विकार .....!! ! !


ज़रा सी


अनदेखी


और फैलता


कितना


विकार.......??? ? ? ?

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना... हार्दिक बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी कई रचनाएँ पढ़ीं ... बाकी आराम से पढूंगी ... अधिकार ..सफर ..सब ही बहुत पसंद आयीं ... सब जगह टिप्पणी अलग अलग इसलिए नहीं दे रही हूँ क्यों कि वेद वेरिफिकेशन लगा हुआ है ..इसे हटा लें ...




    कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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  3. बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! हार्दिक शुभकामनायें !

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  4. वर्षा जी , रचनाओं को आत्मीयता प्रदान करने के लिए हार्दिक धन्यवाद
    आपका आना सच में बहुत अच्छा लगता है ..आपकी ग़ज़ल के साथ ग़ज़ल जैसी तस्वीर किस साईट पर है जरा बताएं तो हम भी एक आध शामिल कर ले .....

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  5. शरद जी बहुत बहुत शुक्रिया ,यूँ कहा जाये तो आप जैसे रचनाकारों की प्रतिक्रिया बहुत मायने रखती है ,वो जो भी हो .....स्वागत करती हूँ ...

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