ANANYA
मंगलवार, 31 मई 2011
सफ़र
कभी
कभी
यूँ
चली आती है
जैसे हवा,
जैसे किरण
या फैंक दे
कोई
ठहरे
हुए
पानी में
कंकर ....
बहुत
जानलेवा
होता है ये
भंवर ~~~~
फिर भी
कहाँ
रुकता है
याद का
सफ़र.........
2 टिप्पणियां:
Dr Varsha Singh
2 जून 2011 को 10:34 am बजे
कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......
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Yashwant R. B. Mathur
7 जनवरी 2012 को 1:12 am बजे
बहुत ही बढ़िया।
सादर
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कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर