डूबने की बात
करते हैं अक्सर
तैरने वाले .... !
लहरों के साथ
जो रहते हैं खेलते ,
मोड लेते हैं रुख
चट्टानों के आने पर ..
छोड़ देते है उन्हें
टूट कर
बिखरने के लिए ...!!
लेते हैं तलाश
फिर से ,
कोई नई लहर ...
ले जाती है जो उन्हें
कुछ और दूर ...
वो समंदर को ...
और अंतत :
जीत लेते हैं बाज़ी .....!!!
देखते हैं मुस्कुराकर
समंदर की ख़ामोशी को ...
पर ,क्या मालूम उन्हें
नापने की कोशिश में
हार गए , वो खज़ाना
जो छुपा था
समंदर की गहराई में .....!!!!
( "काव्य-चेतना "में प्रकाशित )
( "काव्य-चेतना "में प्रकाशित )