बरसों पहले
आसमान ने
धरती से कुछ कहा .....!
धरती कुछ कहती
आसमां ने
लरजते होंठों पर
रख दी चुप्पी .....
................
कहना सुनना
रहा चलता
एक रोज़
बरस पड़ा
आसमान ...
खिसक गई
धरती के
पाँव नीचे की
जमीं...............!!
.............................
एक आँधी
झोंक गई धूल
धरती की आँख में .....
और किरकिरी ने
बंद कर दी आँख ....!!!
....................
वक्त बदला
मौसम बदले
जारी रहा ...
आसमां का बरसना
मिट्टी का घुलना .......!!!!
......................................
यूँ परत परत फैलता
धरती का प्रेम ,
महक सा उड़ता
जा पहुँचता आकाश ..
आसमान
हो गया इन्द्रधनुषी ........!!!!!
.....................
धूप ने
जकड लिए पाँव
बस ,तब से
सीख लिया धरती ने
मूक रहकर
ताप को पीना .....
और
टिका लिए
जमीं पर
अपने पाँव .........!!!!!!
आसमान ने
धरती से कुछ कहा .....!
धरती कुछ कहती
आसमां ने
लरजते होंठों पर
रख दी चुप्पी .....
................
कहना सुनना
रहा चलता
एक रोज़
बरस पड़ा
आसमान ...
खिसक गई
धरती के
पाँव नीचे की
जमीं...............!!
.............................
एक आँधी
झोंक गई धूल
धरती की आँख में .....
और किरकिरी ने
बंद कर दी आँख ....!!!
....................
वक्त बदला
मौसम बदले
जारी रहा ...
आसमां का बरसना
मिट्टी का घुलना .......!!!!
......................................
यूँ परत परत फैलता
धरती का प्रेम ,
महक सा उड़ता

आसमान
हो गया इन्द्रधनुषी ........!!!!!
.....................
धूप ने
जकड लिए पाँव
बस ,तब से
सीख लिया धरती ने
मूक रहकर
ताप को पीना .....
और
टिका लिए
जमीं पर
अपने पाँव .........!!!!!!