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शनिवार, 25 अगस्त 2012

आसमां ने ........ रख दी चुप्पी ....!!!!

बरसों पहले 
आसमान ने 
धरती से कुछ कहा .....! 

धरती कुछ कहती 
आसमां ने 
लरजते होंठों पर 
रख दी चुप्पी .....
................
कहना सुनना
 रहा चलता 
एक रोज़ 
बरस पड़ा 
आसमान ...
खिसक गई 
धरती के 
पाँव नीचे की 
जमीं...............!!
.............................
एक आँधी 
झोंक  गई धूल 
धरती की आँख में .....
और किरकिरी ने 
बंद कर दी आँख ....!!!
....................
वक्त बदला 
मौसम बदले 
जारी रहा ...
आसमां का बरसना 
मिट्टी का घुलना .......!!!!
......................................
यूँ परत परत फैलता 
धरती का प्रेम ,
महक सा उड़ता 
जा पहुँचता आकाश ..
आसमान 
हो गया इन्द्रधनुषी ........!!!!!
 .....................
धूप ने 
जकड लिए पाँव 
बस ,तब से 
सीख लिया धरती ने 
मूक रहकर 
ताप को पीना .....
और 
टिका लिए 
जमीं पर 
अपने पाँव .........!!!!!!

7 टिप्‍पणियां:

  1. शून्य में ब्रह्मांड है
    मौनता में स्वर है
    आँखों की निजता में
    चलता जो क्रम है
    वह शून्य है और मौन है
    उसीसे निःसृत जीवन दर्शन है

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  2. बड़ी अनोखी व सुन्दर व्याख्या कि है धरती और आसमान के प्रेम की... अति सुन्दर !

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  3. यूँ परत परत फैलता
    धरती का प्रेम ,
    महक सा उड़ता
    जा पहुँचता आकाश ..
    आसमान
    हो गया इन्द्रधनुषी.......बेहतरीन :)

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत दुन्दर .. प्रकृति के चक्र को धरती, ताप और बरसात के माध्यम से कह दिया ... लाजवाब ...

    जवाब देंहटाएं
  5. सार्थक सृजन , आभार.

    मेरे ब्लॉग " meri kavitayen "की नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है .

    जवाब देंहटाएं
  6. जीवन च्रक को दर्शाती रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  7. सीख लिया धरती ने
    मूक रहकर
    ताप को पीना .....
    और
    टिका लिए
    जमीं पर
    अपने पाँव .bahut achchi lagi.....

    जवाब देंहटाएं