अमृता के जन्म दिन पर अमृता के लिए
समं दर का सूरज
तीन बार
किनारों ने
सिर उठाया
तीनों बार
उनके वजूद को
चूर होते पाया ...
इसलिए
छोड़
किनारों को पीछे
नदी के बहाव को
लगाया गले ....
पर
जानती हो ...
किनारे
छूटते कहाँ है..!
चलते हैं वो तो
साथ ही
या
घुल जाते है
लहरों के आवेग से .....
समंदर हो
और तुम्हारे
माथे पर
चमकता सूरज
कोई और नहीं
तुम्हारे
घुले हुए किनारे है........
वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
जवाब देंहटाएंविलक्षण अभिव्यक्ति.
और तुम्हारे
माथे पर
चमकता सूरज
कोई और नहीं
तुम्हारे
घुले हुए किनारे हैं.......
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत सुन्दर ... अमृता अमृता ही हैं ... समंदर से भी ज्यादा गहरी ..
जवाब देंहटाएंप्रभावी प्रस्तुति .......
जवाब देंहटाएंआपको ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई...
bejod rachna
जवाब देंहटाएंआभार ,राकेश कुमार जी,संगीता जी वर्षा जी,और रश्मि जी...बिलकुल सही कहा संगीता जी समंदर से भी गहरी ......वही जानेगा जो उतरेगा समंदर में ......धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअमृता जी के जन्मदिन पर शानदार तोहफा है ये
जवाब देंहटाएंBelated Happy Birthday Amrita ji
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर पढ़ कर अच्छा लगा......
गणेश चतुर्थी की आपको हार्दिक शुभकामनायें
आप भी आये यहाँ कभी कभी
MITRA-MADHUR
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN
Pahli baar dekhi hia Amrita Ji ki ye nishchal tasweer...shayad wo us vaqt ciggarate nahi peeti thi'n..
जवाब देंहटाएंइसे चिराग क्यों कहते हो?
आपको हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आज हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
जवाब देंहटाएंआप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
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मेरे ब्लॉग पर आईयेगा अंजू जी,
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक स्वागत है.