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सोमवार, 26 दिसंबर 2011

अनुगूंज..


अनुगूंज.....

प्रेम 


लेता है जन्म 

काराग्रह में .....

विषमता के 

समंदर से 

गुजरता ...

खिलता है 

यमुना तट पे ...

धड़क उठता है,  

मधुबन, 

उसकी महक के 

स्पर्श से ......
...............

और फिर 

गूंज उठता है 

अनूगूंज सा ....

मंदिर के 

अनहद 

नाद में .....



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