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शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

यज्ञ ....

तुम्हारे यज्ञ की  

आखिरी आहुति भर थी मैं ..

लो ....

यज्ञ निर्विघ्न हुआ 

और 

मनोरथ सिद्ध ........

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