लाजबाब :))शुभकामनायें !!
वाह ... बहुत खूब
यही तो उलझन है रिश्तों की...सुन्दर रचना..अनु
हर पहेली एक हल लिए रहती है अपने साथ.......थोड़ा सा ध्यान लगाने की ज़रूरत है ।
बस यूं ही पहेली सुलझाते सुलझाते जीवन कट जाएग ....
कभी "वो" कभी "हम" पहेलियाँ बनते और उनमें उलझते रहते हैं - जीवन सत्य
कुछ ही शब्दों में गहरी बात ... जीवन भी तो अपने आप में एक पहेली ही है ...
बेजोड़ भावाभियक्ति....
शुक्रिया आप सभी का ......जी नासवा जी बस यही मर्म है इस रचना का ....जीवन या फिर ईश्वर ......
http://www.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_7204.html
लाजबाब :))
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !!
वाह ... बहुत खूब
जवाब देंहटाएंयही तो उलझन है रिश्तों की...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना..
अनु
हर पहेली एक हल लिए रहती है अपने साथ.......थोड़ा सा ध्यान लगाने की ज़रूरत है ।
जवाब देंहटाएंबस यूं ही पहेली सुलझाते सुलझाते जीवन कट जाएग ....
जवाब देंहटाएंकभी "वो" कभी "हम" पहेलियाँ बनते और उनमें उलझते रहते हैं - जीवन सत्य
जवाब देंहटाएंकुछ ही शब्दों में गहरी बात ...
जवाब देंहटाएंजीवन भी तो अपने आप में एक पहेली ही है ...
बेजोड़ भावाभियक्ति....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आप सभी का ......जी नासवा जी बस यही मर्म है इस रचना का ....जीवन या फिर ईश्वर ......
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