कुछ विश्वास
बाकी हैं
अविश्वासों के
घेरे में ....
चलो खींच ले चले
इसे
नई सदी की ओर ...!
तांकि
पिछली सदी का बोझ
कुछ तो हो हल्का
नई सदी में
एहसास तो हो
'कल 'का
खाली सफों पर
जब लिखें जायेंगे
जवाब ...
विश्वास रह ना जाये
बीती सदी की बात .....
आओ खींच ले चले ...
कुछ दूर ओर .......
कुछ दूर ओर .......यूँ ही
सर्वाधिकार सुरक्षित
बाकी हैं
अविश्वासों के
घेरे में ....
चलो खींच ले चले
इसे
नई सदी की ओर ...!
तांकि
पिछली सदी का बोझ
कुछ तो हो हल्का
नई सदी में
एहसास तो हो
'कल 'का
खाली सफों पर
जब लिखें जायेंगे
जवाब ...
विश्वास रह ना जाये
बीती सदी की बात .....
आओ खींच ले चले ...
कुछ दूर ओर .......
कुछ दूर ओर .......यूँ ही
सर्वाधिकार सुरक्षित
चलते हैं - बिना किसी शिकायत के
जवाब देंहटाएंदृढ संकल्प लिए - अब नहीं हारेंगे
उम्मीद का
जवाब देंहटाएंएक छोर थामे
पा लेगें किनारा ...... !!
चल चला चल।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा ...विश्वास का दामन ना छोड़ते हुए ...आगे बदते हुए ...सकारात्मक रचना ...बधाई .........
जवाब देंहटाएंएक उम्मीद की किरण अब भी बाकि है
जवाब देंहटाएं♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
कुछ विश्वास
बाकी हैं
अविश्वासों के
घेरे में ....
चलो खींच ले चले
इसे
नई सदी की ओर ...!
यही सही रास्ता है !
आदरणीया अंजु जी
सुंदर सार्थक सामयिक रचना के लिए साधुवाद!
आपकी लेखनी से सदैव , श्रेष्ठ सृजन होता रहे …
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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बस ..इसी विश्वास के बल पर ही आगे चलते चले जाना है... बहुत अच्छी रचना अंजू जी
जवाब देंहटाएंVery Meaningful Presentation.
जवाब देंहटाएंअंजू जी ...बेहतरीन ,,,सकारात्मक भाव ...अविश्वास के बीच विश्वास की अनुकम्पा ...बहुत ही उम्दा भाव ............
जवाब देंहटाएंविश्वास रह ना जाये
जवाब देंहटाएंबीती सदी की बात .....
आओ खींच ले चले ...
कुछ दूर ओर .......
कुछ दूर ओर .......यूँ ही
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behad sundar....