चाहते हो पालना  
मन के आँगन में 
कुछ  भी  ऐसा  ,
जो  कम  कर दे  
सूनापन ....!
पालना ये सोच कि 
चाहते हो तुम  
किसी को ...
महका देगी ये 
आँगन को 
बेला के फूल सा ......!!
कोई चाहता था 
चाहता है ..या  
चाहेगा तुम्हे...
मत बीजना  
कभी ये भरम  
फ़ैल जायेगा ये  
खरपतवार की तरह 
छोड़ जायेगा तुम्हें 
तब, आँगन का 
सूनापन भी.....!!!!
और यही नही ,
खो जायेगी उसकी  
सहज , सरल 
विशालता ................
(अनन्या अंजू )
( "काव्य-चेतना "में प्रकाशित )
(अनन्या अंजू )
( "काव्य-चेतना "में प्रकाशित )


भ्रम के कांटे बड़े नुकीले होते हैं ...
जवाब देंहटाएंसटीक भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएं....बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकोई चाहता था
जवाब देंहटाएंचाहता है ..या
चाहेगा तुम्हे...
मत बीजना
कभी ये भरम
भ्रम ,मृगतृष्णा न साबित हो ....
सार्थक अभिव्यक्ति .... !!
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है अंजू ....... कितनी ही मृगतृष्णाओं के जाल में भटकता रह जाता है मन.
जवाब देंहटाएंकोई चाहता था
जवाब देंहटाएंचाहता है ..या
चाहेगा तुम्हे...
मत बीजना
कभी ये भरम
सूने आंगन में
बहुत ही सुन्दर शब्दों में भावों को पिरोया है ।
बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंफ़ैल जायेगा ये
खरपतवार की तरह
छोड़ जायेगा तुम्हें
तब, आँगन का
सूनापन भी.....!!!!
लाजवाब भावाव्यक्ति अंजु जी...
अनु