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मंगलवार, 31 मई 2011

सफ़र

कभी कभी
यूँ
चली आती है
जैसे हवा,
जैसे किरण
या फैंक दे
कोई
ठहरे हुए
पानी में
कंकर ....
बहुत
जानलेवा
होता है ये
भंवर ~~~~
फिर भी
कहाँ
रुकता है
याद का
सफ़र.........

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