जब से ,पकड़ा है तूने , हाथ ये मेरा...
छूटता जा रहा ,जग से ,ताल्लुक मेरा ....../
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रात भर ,हरसिंगार सा,मैं खिलता रहा ....
हर सुबह रहता है ,तेरी आँखों में ,तारुफ़ मेरा...../
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न मैं मीरा बनी, न मैं राधा हुई ...
रिश्ता तुझसे बहुत ही है नाज़ुक मेरा ......./
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न मैं मीरा बनी, न मैं राधा हुई ...
रिश्ता तुझसे बहुत ही है नाज़ुक मेरा ......./
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बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंwaah
जवाब देंहटाएंछोटी सी कविता में कमाल की भावाव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंआपका लेखनी को नमन।
छोटी सी कविता में कमाल की भावाव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंआपका लेखनी को नमन।
सुभानाल्लाह...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया इमरान जी ,
जवाब देंहटाएंhttp://bulletinofblog.blogspot.com/2011/12/14.html
जवाब देंहटाएंaapki rachna -
जवाब देंहटाएंhttp://bulletinofblog.blogspot.com/2011/12/14.html
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhav...
जवाब देंहटाएंवाह ..यह तारुफ बहुत पसंद आया
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