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मंगलवार, 20 मार्च 2012

ख्याल .....................



दिल मेरा रोशन है कितना इन दिनों 
रूह में उतरा  है सूरज इन दिनों ... 

बिखरे पत्तों को समेटती है जब हवा ...
खनकती है कोई आवाज़ इन दिनों .....

बचा कर आसमां से नजर ,खिड़की से 
उतरता है चाँद ,मेरे घर इन दिनों......

न दरिया , न पत्थर ,न ही पानी ..
फिर भी आँखों में है भंवर इन दिनों ....

ख्याल उसके की पाकीज़गी तो देखिये ....
खुदा में भी आता है ,वो नजर  इन दिनों ......

मिला जब वो ,खुदी में मिल गया .....
तलाश में जिसकी गुमशुदा थे इन दिनों .....



17 टिप्‍पणियां:

  1. न दरिया , न पत्थर ,न ही पानी ..
    फिर भी आँखों में है भंवर इन दिनों ....

    ख्याल उसके की पाकीज़गी तो देखिये ....
    खुदा में भी आता है ,वो नजर इन दिनों ......

    बहुत खूब .... सुंदर गजल

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  2. दिल मेरा रोशन है कितना इन दिनों
    रूह में उतरा है सूरज इन दिनों ...



    खूबसूरत नज़्म.....

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  3. सुभानाल्लाह बहुत खुबसूरत लगी ग़ज़ल।

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  4. कल 22/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (संगीता स्वरूप जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. रुके कदम बहके से लगते हैं
    ख़ामोशी की हँसी ख़ामोशी को तोड़ती है
    ज़िन्दगी में यह भी कमाल होता है .... है न

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  6. ख्याल उसके की पाकीज़गी तो देखिये ....
    खुदा में भी आता है ,वो नजर इन दिनों ......वाह वाह वाह !!!!!!!!!

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  7. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
    इंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।

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  8. वाह बहुत खूब



    जिसे कहते हैं हम
    प्रेम का समुद्र ,
    आदि ना इस किनारे का
    और अंत ना
    उस किनारे का |.......अनु

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  9. बहुत ही सुंदर भावों को सँजोया है आपने इस गजल के तहेंत "इन दिनों"...

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  10. वाह! वाह! बहुत ही अच्छी गज़ल...
    सादर.

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  11. उम्दा गज़ल...हरेक शेर लाजवाब!!

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  12. बचा कर आसमां से नजर ,खिड़की से
    उतरता है चाँद ,मेरे घर इन दिनों......
    कमरे में छिटकती चांदिनी में भिगोती कविता ...वाह !

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  13. बिखरे पत्तों को समेटती है जब हवा ...
    खनकती है कोई आवाज़ इन दिनों .....

    बहुत सुंदर.............

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  14. बचा कर आसमां से नजर ,खिड़की से
    उतरता है चाँद ,मेरे घर इन दिनों......

    ...बहुत कोमल अहसास...बेहतरीन प्रस्तुति...

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  15. बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.

    मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.

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  16. बेहतरीन गजल...सुन्दर पंक्तियाँ...

    न दरिया , न पत्थर ,न ही पानी ..
    फिर भी आँखों में है भंवर इन दिनों ....

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