रूह में उतरा है सूरज इन दिनों ...
बिखरे पत्तों को समेटती है जब हवा ...
खनकती है कोई आवाज़ इन दिनों .....
बचा कर आसमां से नजर ,खिड़की से
उतरता है चाँद ,मेरे घर इन दिनों......
न दरिया , न पत्थर ,न ही पानी ..
फिर भी आँखों में है भंवर इन दिनों ....
ख्याल उसके की पाकीज़गी तो देखिये ....
खुदा में भी आता है ,वो नजर इन दिनों ......
मिला जब वो ,खुदी में मिल गया .....
तलाश में जिसकी गुमशुदा थे इन दिनों .....
न दरिया , न पत्थर ,न ही पानी ..
जवाब देंहटाएंफिर भी आँखों में है भंवर इन दिनों ....
ख्याल उसके की पाकीज़गी तो देखिये ....
खुदा में भी आता है ,वो नजर इन दिनों ......
बहुत खूब .... सुंदर गजल
दिल मेरा रोशन है कितना इन दिनों
जवाब देंहटाएंरूह में उतरा है सूरज इन दिनों ...
खूबसूरत नज़्म.....
सुभानाल्लाह बहुत खुबसूरत लगी ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंकल 22/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (संगीता स्वरूप जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
रुके कदम बहके से लगते हैं
जवाब देंहटाएंख़ामोशी की हँसी ख़ामोशी को तोड़ती है
ज़िन्दगी में यह भी कमाल होता है .... है न
ख्याल उसके की पाकीज़गी तो देखिये ....
जवाब देंहटाएंखुदा में भी आता है ,वो नजर इन दिनों ......वाह वाह वाह !!!!!!!!!
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
wah bahut khoob.....behatareen gajal
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंजिसे कहते हैं हम
प्रेम का समुद्र ,
आदि ना इस किनारे का
और अंत ना
उस किनारे का |.......अनु
बहुत ही सुंदर भावों को सँजोया है आपने इस गजल के तहेंत "इन दिनों"...
जवाब देंहटाएंवाह! वाह! बहुत ही अच्छी गज़ल...
जवाब देंहटाएंसादर.
उम्दा गज़ल...हरेक शेर लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंबचा कर आसमां से नजर ,खिड़की से
जवाब देंहटाएंउतरता है चाँद ,मेरे घर इन दिनों......
कमरे में छिटकती चांदिनी में भिगोती कविता ...वाह !
बिखरे पत्तों को समेटती है जब हवा ...
जवाब देंहटाएंखनकती है कोई आवाज़ इन दिनों .....
बहुत सुंदर.............
बचा कर आसमां से नजर ,खिड़की से
जवाब देंहटाएंउतरता है चाँद ,मेरे घर इन दिनों......
...बहुत कोमल अहसास...बेहतरीन प्रस्तुति...
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.
बेहतरीन गजल...सुन्दर पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंन दरिया , न पत्थर ,न ही पानी ..
फिर भी आँखों में है भंवर इन दिनों ....