डूबने की बात  
करते हैं अक्सर 
तैरने वाले .... !
लहरों के साथ 
जो रहते हैं खेलते ,
मोड लेते हैं रुख 
चट्टानों के आने पर ..
छोड़ देते है उन्हें 
टूट कर 
बिखरने के लिए ...!!
लेते हैं तलाश 
फिर से ,
कोई नई लहर ...
ले जाती है जो उन्हें  
कुछ और दूर ...
वो समंदर को ...
और अंतत :
जीत लेते हैं बाज़ी .....!!!
देखते हैं मुस्कुराकर 
समंदर की ख़ामोशी को ...
पर ,क्या  मालूम उन्हें 
नापने की कोशिश में 
हार गए , वो खज़ाना 
जो छुपा था 
समंदर  की  गहराई में .....!!!! 
( "काव्य-चेतना "में प्रकाशित )
( "काव्य-चेतना "में प्रकाशित )


उम्दा अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .... संघर्षरत होने की प्रेरणा देती रचना
जवाब देंहटाएंसमंदर की तरह गहरा फलसफा .....बहुत खूबसूरत।
जवाब देंहटाएंबहुत गहराई से सोच कर लिखी गई रचना..... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंगहरे भाव लिए बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएं:-)
डूबने की बात
जवाब देंहटाएंकरते हैं अक्सर
तैरने वाले .... !
इन पँक्तिओं मे खो कर रह गयी सोच रही हूँ---
सुन्दर रचना। बधाई।
बहुत बढिया ...वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक सृजन , आभार.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारकर अपनी शुभकामनाएं प्रदान करें.
bahut sundar..
जवाब देंहटाएं