Powered By Blogger

शनिवार, 18 अगस्त 2012

परवाह

अचानक
एक तेज़ रफ्तार
गाड़ी ...
कुचल गई
राहगीर को .......

भीड़
इकट्ठा हुई और
गिने जाने लगे दोष ...
और होने लगी
तहकीकात
दोषी की .....

भीड़ में ही
मौजूद था कोई
कवि ....
लिख डाली तुरंत
एक मार्मिक कविता
...............

अगले दिन
दोनों सुर्ख़ियों में थे ....

एक मार्मिक भाव की
नई  रचना के लिए ....

और दूसरा
'सडक हादसे ने 
ले ली एक और जान ......!!!!

और यूँ ....
रचनायें जन्मती हैं 
मरती
है .......
जड़  और चेतन की परवाह
कौन करे ......???



7 टिप्‍पणियां:




  1. इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने की अनुकम्पा करें, आभारी होऊंगा .

    जवाब देंहटाएं
  2. वह कवि हो ही नहीं सकता जो घटनास्थल पर कलम उठा ले , उसे नहीं जिसके साथ दुर्घटना हुई .... और खबर तो ताज़ी बासी एक सी होती है आम लोगों के लिए , जब तक अपना चेहरा न हो

    जवाब देंहटाएं
  3. वह कवि हो ही नहीं सकता जो घटनास्थल पर कलम उठा ले , उसे नहीं जिसके साथ दुर्घटना हुई .... और खबर तो ताज़ी बासी एक सी होती है आम लोगों के लिए , जब तक अपना चेहरा न हो

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बेहतरीन रचना...
    एक कवी एक खबर....
    जड़ और चेतन की परवाह कौन करे..

    जवाब देंहटाएं
  5. कड़वी पर हकीक़त यही है......सुन्दर ।

    जवाब देंहटाएं