गुलमोहर ...
खिलने लगा है ....
नन्ही नन्ही कोंपले
सजाने लगी है
सूनी टहनियों को.......
कभी कभार
आ जाती है कोई चिड़िया
जीवित ख्वाहिशें ..
रंग बिरंगे सपने
बुनना चाहती है शायद
वो एक आशियाँ .....!!
पर
अभी नाज़ुक हैं पत्तियां
बाकी है सहम
बे-रुखे मौसम का
अभी पीना है ताप ....!
आम्र बौर के गीत
जब गायेगी कोयल
गुनगुनायेगा तब
गुलमोहर ...
कुहू कुहू की पुकार
तोड़ेगी नीरवता के तार
झंकृत होगा
यादों का सितार......!!
खिलने लगा है ....
नन्ही नन्ही कोंपले
सजाने लगी है
सूनी टहनियों को.......
कभी कभार
आ जाती है कोई चिड़िया
जीवित ख्वाहिशें ..
रंग बिरंगे सपने
बुनना चाहती है शायद
वो एक आशियाँ .....!!
पर
अभी नाज़ुक हैं पत्तियां
बाकी है सहम
बे-रुखे मौसम का
अभी पीना है ताप ....!
आम्र बौर के गीत
जब गायेगी कोयल
गुनगुनायेगा तब
गुलमोहर ...
कुहू कुहू की पुकार
तोड़ेगी नीरवता के तार
झंकृत होगा
यादों का सितार......!!
शायद इस बार
हाँ ..इस बार
रंग लाए
गुलमोहर का
इंतज़ार ...........!!!!
(अंजू अनन्या )
बिल्कुल रंग लाएगा इन्तेज़ार ...सुन्दर काविता अनु जी!
जवाब देंहटाएंआम्र बौर के गीत
जवाब देंहटाएंजब गायेगी कोयल
गुनगुनायेगा तब
गुलमोहर ..---गुलमोहर का सुंदर चित्रण जीवन से जोड़कर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
सच कहा ! अभी नाज़ुक हैं पत्तियां....बाकी है सहम....बे-रुखे मौसम का....अभी पीना है ताप ....! बस प्रतीक्षा !
जवाब देंहटाएंअभी नाज़ुक हैं पत्तियां
जवाब देंहटाएंबाकी है सहम
बे-रुखे मौसम का
अभी पीना है ताप ....!
कोशिश करनी है
बच सके नाज़ुकप त्तियां
खुबसूरत अभिव्यक्ति
नाज़ुक सी पोस्ट....उम्दा।
जवाब देंहटाएंऔर आ जाये बहार
जवाब देंहटाएं