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शुक्रवार, 3 मई 2013

अपेक्षा ...............


अपेक्षा के धरातल पर 
निर्भरता की सीढ़ी ...
चेतना संभाल कर रखे 
कितना ही पाँव 
जड़ता आती ही जाती है
 हर सीढ़ी के बाद ....
..........
आखिरी शिखर पर 
बस मोमेंटो सा 
रह जाता है नाम ....

जरूरी है चेतना की  सम्भाल 
जैसे अधखिली पतियों को 
सहेजता है गुलाब ...............!!

{वेदना जब अहसास में उतरती है ....तो सम हुए बिना नही रहती ....../// एहसास ही मृत ( जड़) हो जाये तो अलग बात है }

~~~~अंजू अनन्या ~~~~~~~

7 टिप्‍पणियां:

  1. जरूरी है चेतना की सम्भाल
    जैसे अधखिली पतियों को
    सहेजता है गुलाब ...............!!
    सच .... बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  2. bada gahan chitran kiya hai .............sam ho jana hi samadhi hai

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  3. एहसास न हो तो कुछ भी कहना व्यर्थ है ...

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  4. चेतना संभाल कर रखे
    कितना ही पाँव
    जड़ता आती ही जाती है
    हर सीढ़ी के बाद .... बहुत गहरी बात कही है अंजू जी!बहुत खूब!

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  5. अहसास ही तो जीवन का आधार हैं

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  6. जरूरी है चेतना की सम्भाल
    जैसे अधखिली पतियों को
    सहेजता है गुलाब ...............!!

    गहन चिंतन. सुंदर संदेश.

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  7. आपकी यह सुन्दर रचना निर्झर टाइम्स (http://nirjhar-times.blogspot.com) पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।

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