अपेक्षा के धरातल पर
निर्भरता की सीढ़ी ...
चेतना संभाल कर रखे
कितना ही पाँव
जड़ता आती ही जाती है
हर सीढ़ी के बाद ....
..........
आखिरी शिखर पर
बस मोमेंटो सा
रह जाता है नाम ....
जरूरी है चेतना की सम्भाल
जैसे अधखिली पतियों को
सहेजता है गुलाब ...............!!
{वेदना जब अहसास में उतरती है ....तो सम हुए बिना नही रहती ....../// एहसास ही मृत ( जड़) हो जाये तो अलग बात है }
~~~~अंजू अनन्या ~~~~~~~
जरूरी है चेतना की सम्भाल
जवाब देंहटाएंजैसे अधखिली पतियों को
सहेजता है गुलाब ...............!!
सच .... बेहतरीन प्रस्तुति
bada gahan chitran kiya hai .............sam ho jana hi samadhi hai
जवाब देंहटाएंएहसास न हो तो कुछ भी कहना व्यर्थ है ...
जवाब देंहटाएंचेतना संभाल कर रखे
जवाब देंहटाएंकितना ही पाँव
जड़ता आती ही जाती है
हर सीढ़ी के बाद .... बहुत गहरी बात कही है अंजू जी!बहुत खूब!
अहसास ही तो जीवन का आधार हैं
जवाब देंहटाएंजरूरी है चेतना की सम्भाल
जवाब देंहटाएंजैसे अधखिली पतियों को
सहेजता है गुलाब ...............!!
गहन चिंतन. सुंदर संदेश.
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