ANANYA
गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013
बुदबुदाहट ...............
बहुत उदास है ..............
कमरा
कमरे की दीवारें
छत ताक रही
अपलक ....
ओर फर्श
बैठा है
कान सटाए .....
कहीं कोई जो
आहट आये ...!!!!
दो पदचिन्ह
कसमसाते से
मुंह फेर कर
बैठ गई वो कुर्सी
बुदबुदाने लगती है कभी कभी ....
2 टिप्पणियां:
इमरान अंसारी
8 अक्तूबर 2013 को 1:47 am बजे
वाह
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Unknown
21 अक्तूबर 2013 को 2:30 pm बजे
अति सुन्दर विचारों की प्रस्तुति । बधाई । सस्नेह
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वाह
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर विचारों की प्रस्तुति । बधाई । सस्नेह
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