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गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

बुदबुदाहट ...............





बहुत उदास है ..............

कमरा 

कमरे की दीवारें 

छत ताक रही 

अपलक ....

ओर फर्श

बैठा  है  

कान सटाए .....

कहीं कोई जो 

आहट आये ...!!!!


दो पदचिन्ह 

कसमसाते से

मुंह फेर कर 

बैठ गई वो कुर्सी 

बुदबुदाने लगती है कभी कभी ....

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