तुम्हारी
नन्ही माखन सनी
उँगलियों को थाम
उँगलियों को थाम
आना चाहती हूँ बाहर
इस चक्रव्यूह से ------
'प्रवेश' निश्चित था ---
बाहर आना अनिश्चित --
कर दो सुनिश्चित
हटा दो ये आवरण
' मैं ' मेरे से बाहर
देखना है मुझे स्वयं को
उस पारदर्शिता में ..........
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