ईश्वर और आदमी ....
ईश्वर ने
सहेज रखे थे
कुछ फूल ....
आदमी ने
जल्दी में कर दी
भूल ...
चुनने की कोशिश में
चुभते गए शूल .....
अब फटी झोली है ..
और ईश्वर के हाथ में
फूल .......
झोली फैलाने पर ..
मिल ना जाये धूल ..
बाँध कर झोली
बस तकता है ....
जैसे बहती लहरों को
तकता है कूल .........
इंसान ने कर दी भूल !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपका मैं अपने ब्लॉग ललित वाणी पर हार्दिक स्वागत करता हूँ मैंने भी एक ब्लॉग बनाया है मैं चाहता हूँ आप मेरा ब्लॉग पर एक बार आकर सुझाव अवश्य दें...