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रविवार, 9 अक्तूबर 2011

बीज वट का

बीज 
नहीं बोया जाता 
किसी हाथ से 
उगता  है स्वयं 
स्वयं के प्रयास से ......
अंतस में 
पनपता 
बरसात में
निखरता 
सुनहरी किरणों से 
चमकता 
कब हो जाता है 
'वट'  .......
पता ही नहीं चलता 

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रतीक ... संवेदनशील रचना ...
    आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर पंक्तिया सुन्दरता से रची हुई ...


    संजय भास्कर
    आदत...मुस्कुराने की
    ब्लॉग पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं