गहरा भाव....सुन्दर रचना..बधाई....
गहन अभिवयक्ति........
तहे दिल से स्वागत है आपका धनपत जी...... ....और शुक्रिया प्रतिक्रिया के लिए ....
आभार सुषमा जी.....
मैं तो रास्ते के पत्थर में भी कभी कभी अटक जाती हूँ और उठा लेती हूँ
बहुत ही बढ़िया। सादर
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ये आपकी नम्रता और विश्वसनीयता है...ईश्वर के प्रति .....बस यही अंतर है रश्मि जी.....विश्वास किया नही जाता ....दिलाया जाता है .....हम इसका श्री स्वयं पर ले लेते है क ....मैं विशवास करता हूँ......आप पत्थर को वही देती हैं जिसकी उसे जरूरत होती है....
आभार यशवंत जी
बहुत सुन्दर कम शब्द गहरे अर्थ........विश्वास तो मन से है |
अति सुंदर
विश्वास की नीवं बस एक ही बार पड़ती हैं ....वो पत्थर हो या ईश्वर ...
...ईश्वर के प्रति विश्वसनीयता है
गहरा भाव....सुन्दर रचना..बधाई....
जवाब देंहटाएंगहन अभिवयक्ति........
जवाब देंहटाएंतहे दिल से स्वागत है आपका धनपत जी...... ....और शुक्रिया प्रतिक्रिया के लिए ....
जवाब देंहटाएंआभार सुषमा जी.....
जवाब देंहटाएंमैं तो रास्ते के पत्थर में भी कभी कभी अटक जाती हूँ और उठा लेती हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
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जवाब देंहटाएंये आपकी नम्रता और विश्वसनीयता है...ईश्वर के प्रति .....बस यही अंतर है रश्मि जी.....विश्वास किया नही जाता ....दिलाया जाता है .....हम इसका श्री स्वयं पर ले लेते है क ....मैं विशवास करता हूँ......आप पत्थर को वही देती हैं जिसकी उसे जरूरत होती है....
जवाब देंहटाएंआभार यशवंत जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कम शब्द गहरे अर्थ........विश्वास तो मन से है |
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंविश्वास की नीवं बस एक ही बार पड़ती हैं ....वो पत्थर हो या ईश्वर ...
जवाब देंहटाएं...ईश्वर के प्रति विश्वसनीयता है
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