पर एहसास तुम्हारे पास भी है , मेरे पास भी ... मैं तुमको सौंप देती हूँ , तुम अपनी दृष्टि रखते हो सुरक्षा की
बहुत सुन्दर
आपके इस उत्कृष्ठ लेखन का आभार ...।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।
बहुत ही बढ़िया। सादर
लीन हो जाओ में देवता के अपने जो मिला नहीं अब तक मिल जाएगा सुन्दर कविता,बधाई
वाह ...बहुत ही बढि़या।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
इंसान इंसान ही बना रहे यही बहुत है |
बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना....
वाह खूब कहा हैं ईश्वर और इंसान के फर्क को
आप सब का तहे दिल से शुक्रिया .....
सच नाम के सिवा और कोई अंतर नहीं,मैं उसे क्यों मानू वो मेरे जैसा गर नहीं
nice wordings
पर एहसास तुम्हारे पास भी है , मेरे पास भी ... मैं तुमको सौंप देती हूँ , तुम अपनी दृष्टि रखते हो सुरक्षा की
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपके इस उत्कृष्ठ लेखन का आभार ...
जवाब देंहटाएं।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।
बहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
लीन हो जाओ में देवता के अपने
जवाब देंहटाएंजो मिला नहीं अब तक मिल जाएगा
सुन्दर कविता,बधाई
वाह ...बहुत ही बढि़या।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइंसान इंसान ही बना रहे यही बहुत है |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंवाह खूब कहा हैं
जवाब देंहटाएंईश्वर और इंसान के फर्क को
आप सब का तहे दिल से शुक्रिया .....
जवाब देंहटाएंसच नाम के सिवा और कोई अंतर नहीं,
जवाब देंहटाएंमैं उसे क्यों मानू वो मेरे जैसा गर नहीं
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