ANANYA
रविवार, 17 मार्च 2013
शीर्षक से परे ..........!!!!!!
स्थापित ईश्वर
चला गया ......
खंडित हो गया था मन ..!
कर दिया प्रवाहित
बहती धारा में ..!
ईश्वर
देवघर में रहता है
खंडहरों में नही .....!!!
(अंजू अनन्या )
( ईश्वर प्रेम हो सकता है ...'प्रेम'
ईश्वर
का ही तो दूसरा नाम है .......)
2 टिप्पणियां:
इमरान अंसारी
19 मार्च 2013 को 2:02 am बजे
कम शब्द गहन भाव।
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रश्मि प्रभा...
19 मार्च 2013 को 4:06 am बजे
और घर मन है देव का ... उसकी सफाई करो,फिर देखो
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कम शब्द गहन भाव।
जवाब देंहटाएंऔर घर मन है देव का ... उसकी सफाई करो,फिर देखो
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