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रविवार, 17 मार्च 2013

शीर्षक से परे ..........!!!!!!




स्थापित ईश्वर
चला गया ......
खंडित हो गया था मन ..!

कर दिया प्रवाहित 
बहती धारा में ..!

ईश्वर 
देवघर में रहता है 
खंडहरों में नही .....!!!

(अंजू अनन्या )


( ईश्वर प्रेम हो सकता है ...'प्रेम' ईश्वर का ही तो दूसरा नाम है .......)

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