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मंगलवार, 12 मार्च 2013

लम्बी बात ..............



    
 कभी कभी 
 कितनी लम्बी 
 हो जाती है बात ..
कि शब्द 
जाते है खो .. ..
 अर्थ 
देते है बदल ,
 मायने उस बात के .....
बात और 
 बात के बीच की 
लम्बाई को 
 नापना भी
होता है 
नामुमकिन  ....
क्यूंकि  आसमान का 
नही होता 
कोई सिरा .....
बस रात बाकी की तरह 
अंत में 
बात तलाशती है 
फिर एक 
नया सिरा .......

6 टिप्‍पणियां:

  1. बात जहाँ से शुरू होती है वहां से भटककर कहीं और चली जाती है ......... लम्बी लम्बी बातें क्षणिक सोच का भी मंथन कर जाती हैं .... पर प्राप्य प्रश्न !

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  2. वाह! लम्बी बातों में मुख्य मुद्दा खो जाता है...कुछ शब्दों में बहुत कुछ कह दिया...

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  3. बात और
    बात के बीच की
    लम्बाई को
    नापना भी
    होता है
    नामुमकिन ....

    बहुत गहरी बात...बहुत कोमल भाव...सुंदर..

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  4. बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी..........सुन्दर ।

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  5. सच कहा है ... लंबी बहस अपना अर्थ खो देती है ... शब्दों के मात्ने बदल जाते हैं ...

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