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गुरुवार, 6 जून 2013

आहटें थम चुकी हैं ......


मैंने कहा 
रुको 
तुम नही रुके ...

जम गई 
पाँव नीचे की ज़मी 
बर्फीले तूफ़ान में ..!

अब बर्फ ही बर्फ है 
पाँव कहीं नही ..............


{आहटें थम चुकी हैं ..........है ना }


3 टिप्‍पणियां:

  1. aahte kahan thamti hai :)dastak de hi jaati hai aati jaati hawa ke saath ..

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  2. जम गई
    पाँव नीचे की ज़मी
    बर्फीले तूफ़ान में ..!------

    वाह बहुत सुंदर रचना
    बधाई

    आग्रह है
    गुलमोहर------

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी कविताएँ अमृता प्रीतम जी की याद दिला जाती है ।

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