मैंने कहा था ना ....
लौट आई हूँ
नही होगा लौटना
इस बार जो चली गई .....
ख्याल रखना !
पर महज शब्द थे
तुम्हारे लिए
मेरे लिए एक यात्रा ....
जाने दिया
जाने को कह कर ...!
अब
चाहते हो लौटना
लौट आओ ...पर
सुनो ! सब है
पगडंडी
रास्ता
पेड़
छाया .....
बस नही बचा ,तो
छाल के भीतर का सच !
नमी सोख ली
ज़मी ने
और बारिशें
कब की थम चुकी ............अह्ह्ह!
लौट आई हूँ
नही होगा लौटना
इस बार जो चली गई .....
ख्याल रखना !
पर महज शब्द थे
तुम्हारे लिए
मेरे लिए एक यात्रा ....
जाने दिया
जाने को कह कर ...!
अब
चाहते हो लौटना
लौट आओ ...पर
सुनो ! सब है
पगडंडी
रास्ता
पेड़
छाया .....
बस नही बचा ,तो
छाल के भीतर का सच !
नमी सोख ली
ज़मी ने
और बारिशें
कब की थम चुकी ............अह्ह्ह!
जवाब देंहटाएंनमी सोख ली
ज़मी ने
और बारिशें
कब की थम चुकी ..bahut khub
वाह बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(8-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
प्रेम-प्रीत को विरवा चले लगाय,
जवाब देंहटाएंसींचन की सुधि लीजो ,मुरझ न जाय!
सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंLATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
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नमी सोख ली
जवाब देंहटाएंज़मी ने
और बारिशें
कब की थम चुकी
बहुत सुंदर .. नमी फिर भी बरकरार है जमीन के अंदर ही सही