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गुरुवार, 6 जून 2013

ख्याल रखना ...........

मैंने कहा था ना ....
लौट आई हूँ

नही होगा लौटना
इस बार जो चली गई .....
ख्याल रखना !

पर महज शब्द थे
तुम्हारे लिए
मेरे लिए एक यात्रा ....

जाने दिया
जाने को कह कर ...!

अब
चाहते हो लौटना
लौट आओ ...पर

सुनो ! सब है
पगडंडी
रास्ता
पेड़
छाया .....

बस नही बचा ,तो
छाल के भीतर का सच !


नमी सोख ली
ज़मी ने
और बारिशें
कब की थम चुकी ............अह्ह्ह! 


6 टिप्‍पणियां:


  1. नमी सोख ली
    ज़मी ने
    और बारिशें
    कब की थम चुकी ..bahut khub

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(8-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  3. प्रेम-प्रीत को विरवा चले लगाय,
    सींचन की सुधि लीजो ,मुरझ न जाय!

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  4. नमी सोख ली
    ज़मी ने
    और बारिशें
    कब की थम चुकी
    बहुत सुंदर .. नमी फिर भी बरकरार है जमीन के अंदर ही सही

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