kam shabdon me brahmand
बिन मन निभे न रिश्ते...... , दिखते जैसे लिबास और तन.....बहुत सही...बहुत सुन्दर...
वाह बेहतरीन !!!!
रश्मि जी,शरद जी ,और संजय भास्कर जी आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए आभार, ब्लॉग पर आकर इस हौसला अफजाई के लिए भी दिली शुक्रिया
वाह.........कितने कम शब्दों में कितनी गहरी बातें कह गईं हैं आप.........सुभानाल्लाह|
बहुत बहुत शुक्रिया ,इमरान जी चिंतन के लिए....प्रतिक्रिया के लिए
ओह! बहुत सुन्दर.अच्छा लगा आपकी प्रस्तुति पढकर.आभार.मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
बिन मन निभे न रिश्ते.दिखते जैसेलिबास और तन.शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी रचना ....आभार.
धन्यवाद राकेश कुमार जी, ब्लॉग पर आपका स्वागत है
आभार के लिए शुक्रिया वर्षा जी
kam shabdon me brahmand
जवाब देंहटाएंबिन मन
जवाब देंहटाएंनिभे न रिश्ते...... ,
दिखते जैसे
लिबास और तन.....
बहुत सही...बहुत सुन्दर...
वाह बेहतरीन !!!!
जवाब देंहटाएंरश्मि जी,शरद जी ,और संजय भास्कर जी आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए आभार, ब्लॉग पर आकर इस हौसला अफजाई के लिए भी दिली शुक्रिया
जवाब देंहटाएंवाह.........कितने कम शब्दों में कितनी गहरी बातें कह गईं हैं आप.........सुभानाल्लाह|
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया ,इमरान जी चिंतन के लिए....प्रतिक्रिया के लिए
जवाब देंहटाएंओह! बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपकी प्रस्तुति पढकर.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
बिन मन
जवाब देंहटाएंनिभे न रिश्ते.
दिखते जैसे
लिबास और तन.
शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी रचना ....आभार.
धन्यवाद राकेश कुमार जी, ब्लॉग पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंआभार के लिए शुक्रिया वर्षा जी
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