Powered By Blogger

सोमवार, 25 जुलाई 2011

भाव



भाव बिन

        सूनी भक्ति.....

प्रेम बिन

   सूना जीवन .....

बिन मन
        
       निभे न रिश्ते...... ,
दिखते जैसे
लिबास और तन.....

10 टिप्‍पणियां:

  1. बिन मन

    निभे न रिश्ते...... ,

    दिखते जैसे

    लिबास और तन.....


    बहुत सही...बहुत सुन्दर...

    जवाब देंहटाएं
  2. रश्मि जी,शरद जी ,और संजय भास्कर जी आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए आभार, ब्लॉग पर आकर इस हौसला अफजाई के लिए भी दिली शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह.........कितने कम शब्दों में कितनी गहरी बातें कह गईं हैं आप.........सुभानाल्लाह|

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बहुत शुक्रिया ,इमरान जी चिंतन के लिए....प्रतिक्रिया के लिए

    जवाब देंहटाएं
  5. ओह! बहुत सुन्दर.

    अच्छा लगा आपकी प्रस्तुति पढकर.

    आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं
  6. बिन मन
    निभे न रिश्ते.
    दिखते जैसे
    लिबास और तन.


    शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी रचना ....आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. धन्यवाद राकेश कुमार जी, ब्लॉग पर आपका स्वागत है

    जवाब देंहटाएं
  8. आभार के लिए शुक्रिया वर्षा जी

    जवाब देंहटाएं