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शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

स्वाधीनता दिवस की बधाई आज क्यूँ ......????? इसे आप को कल देना चाहिए .....आज के दिन तो भाई भाई  से अलग हो गए थे ...धरती जो अनंत है ....उसे एक टुकड़े में और बाँट दिया गया .....और नाम दे दिया सरहद ..........सरहदे जो आज भी तकती हैं राह उन खोये कदमो की आहटों का ....जो बाँध दिए गए है ...दस्तावेजों के साथ .......वो आँखे जो ...सरहद पर ...देखती हैं एक दूसरे को ...पर नही मिला पाती हाथ .....क्यूंकि मुकरर्र है वक्त ........सांझ से पहले ...बंद हो जाते हैं खुले दरवाजे ....एक भीड़ ...होती है इकठ्ठा .....बिखर जाती है धीरे धीरे ...देखती है मुड कर मायूसी से .....एक ही हवा में ...फेहराए जाते हैं ...दो परचम ... करते है बातें ....दोनो  परचम सर्वाधिकार सुरक्षित


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