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गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

आकाश ...


आकाश चाहत है ...कल्पना है ......उड़ान है ......पूरे आकाश को ....अपने पंजों में लाने की इच्छा .....जो अंतहीन ....कभी भाव विहीन भी .../ पिंजडा .....हकीकत है ......अवलोकन है ......अनुभवों की जमीं है .....कदम कदम नापता है ......बाहर और भीतर के द्द्वंद से जूझता हुआ ....सच से एकाकार होता है ....और असीम अनंत आकाश में ....निडरता पूर्वक विचरण करता है ....पिंजरा रहता कहाँ है ........./ पिंजड़े के अंदर से ही तो देख पाता है ....आकाशी उड़ानों की कोरी कल्पना ....../आकाश से ...ये अनुभव सम्भव नही ....पिंजड़े का भी नही .....(me as cment ...)


पियोगे गरल ......तभी पाओगे कुछ उगल .....!! होता कहाँ है बस में ....जो ले हर कोई निगल .......?? .....जिंदगी होती है सरल ......पर चाहते है सब ..महल ......!!!! 
अमित आनंद पाण्डेय के स्टेट्स पर ......२५अग्स्त १२:०६ शनिवार 


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