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सोमवार, 18 नवंबर 2013

प्रेम ..........

तुम 
कब थे अलग मुझसे 
सोये थे मुझमें 
मुझी से ......

जागे हो जो अब ,
नज़र आते हो 
हर कहीं पे ......

पानी आँख में 
उतर आए ,संजीवनी 
 हथेलियों में जैसे......

कोई इतना भी प्रेम 
कर सके है किसी से 
कि छुप के बैठा रहे 
खुद , खुदी से ...........


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