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गुरुवार, 4 जुलाई 2013

आखिरी आहुति ...


हवनकुंड में 
प्रज्वलित अग्नि 
बुझने को है .....

पर आहुतियाँ बरकरार ...

इससे पहले ,हे अग्निदेव 
तुम हो जाओ शांत 

लो ,कर दिया मैंने 
आखिरी आहुति का 
होम 
पात्र के साथ ........

{...अनन्या ....}

8 टिप्‍पणियां:

  1. अपना सब कुछ अर्पण कर दिया........सुन्दर।

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  2. बहुत सुंदर, आभार

    यहाँ भी पधारे ,
    रिश्तों का खोखलापन
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_8.html

    जवाब देंहटाएं
  3. समर्पण का अनूठापन ,बहुत सुंदर....
    साभार....

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  4. खुबसूरत अभिवयक्ति.... 'आहुति'

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  5. बहुत सुंदर, आभार

    यहाँ भी पधारे ,
    राज चौहान
    क्योंकि सपना है अभी भी
    http://rajkumarchuhan.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  6. सब कुछ अर्पण । बड़ी बात है । भावोँ का समर्पण ही सच है । शुभकामनाएँ । सस्नेह

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