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बुधवार, 3 जुलाई 2013

यही कहोगे ना ...........

"तुम तो मुझे भूल ही गई ..."
कितने दिन से बात भी नही की ...!!!
यही कहोगे ना ......जानती हूं .....

पर नही कह पाऊँगी कुछ ...
सिवा इसके 
"हाँ ,बहुत कीमती रहे होगे तुम .."
ज्यादा सम्भाल कर रख दिया तुम्हें ....
और तुम तो जानते हो ना ....
अक्सर ज्यादा सम्भाली चीज़ें /यादें 
एन मौके पर ..
ढूँढने से भी नही मिला करती .....!!!!

बेवक्त मिलना भी तो
कसता है तानों का शिकंजा .....
बस यही सोच कर ....
खींच लेती हूं हाथ ....
मूँद लेती हूं आँख ......
रख आती हूं कहीं 
गहरी सम्भाल और 
भूल जाने के बहाने के साथ ....!!
(अनन्या अंजू )

सर्वाधिकार सुरक्षित

5 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम का कोमल अहसास
    सुंदर अनुभूति
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर


    जीवन बचा हुआ है अभी---------

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  2. जो चीज़ें बहुत संभाल कर राखी जाती हैं सच ही जल्दी नहीं मिलती .... कोमल से खयाल बुने हैं ।

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  3. बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

    जवाब देंहटाएं
  4. बस यही सोच कर ....
    खींच लेती हूं हाथ ....
    मूँद लेती हूं आँख ......
    रख आती हूं कहीं
    गहरी सम्भाल और
    भूल जाने के बहाने के साथ ...!!

    यूँ भी जिस पेड़ की जड़ें गहरी होती हैं
    उन्हें रोज सिंचाई की जरूरत नही होती ।

    जवाब देंहटाएं